बरेली। उत्तराखंड की पहाड़ों से मैदान तक हो रही बारिश से बरेली मंडल में बाढ़ का खतरा पैदा होता नजर आ रहा है। लगातार बारिश की वजह से गंगा, रामगंगा और शारदा नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। इससे पीलीभीत, बदायूं, शाहजहांपुर के साथ बरेली में भी बाढ़ की आशंका गहराती दिखाई दे रही है। हालात भांपते हुए सभी जिलों में प्रशासन और सिंचाई विभाग की टीमें सतर्क हो गई हैं। नदियों के तटीय इलाकों में बाढ़ से निपटने के लिए मॉक ड्रिल शुरू करा दी गई है। नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को बाढ़ की स्थिति में तुरंत सुरक्षित इलाकों में जाने की चेतावनी जारी की जा रही है।
बरेली मंडल के सभी जिलों में बाढ़ चौकियां सक्रिय
बरेली, पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर जिलों में बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को चौकियों पर तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल राहत-बचाव कार्य शुरू किए जा सकें।
बरेली प्रशासन ने रामगंगा तट पर कराई मॉक ड्रिल
बाढ़ की तैयारियों के तहत प्रशासन ने नदियों के आसपास मॉक ड्रिल शुरू करा दी है। बरेली के मीरगंज इलाके में गांवों में राहत शिविरों की संभावित जगहों को चिह्नित किया जा चुका है और नावों, राहत सामग्री, मेडिकल टीमों की तैनाती सुनिश्चित की जा रही है। मीरगंज एसडीएम तृप्ति गुप्ता ने बताया कि बाढ़ जैसे आपातकालीन हालातों में त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया ही जनजीवन की सुरक्षा की गारंटी होती है। यह मॉक ड्रिल हमारे सभी विभागों की तैयारी का अभ्यास है, ताकि किसी भी आपदा से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।साथ ही साथ खुद को भी कोई भी आपदा आने से पहले तैयार रखना बहुत जरूरी है जिससे किसी भी आपदा का सामना किया जा सकता है। मॉक ड्रिल के दौरान ग्रामीणों को बचाव के आधुनिक तरीकों से अवगत कराया गया, नाव और रस्सियों के माध्यम से लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का प्रदर्शन किया गया। फायर ब्रिगेड ने जलभराव से निपटने की तकनीकें दिखाईं, वहीं एनडीआरएफ ने आपातकालीन प्राथमिक उपचार व राहत वितरण की प्रक्रिया बताई।
स्वास्थ विभाग की तरफ से मौजूद डॉक्टर सुरेंद्र पाल और फर्माशिस्ट विनय पाल सिंह भदौरिया ने मॉक ड्रिल के दौरान ग्रामीणों को बताया कि कैसे पानी में डूबे व्यक्ति को छाती प्रेस करके बचाया जा सकता है। इस अवसर पर एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस स्वयंसेवक, एवं स्थानीय ग्रामीणों ने भी बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाई, जिससे आपसी सहयोग की भावना भी उजागर हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन की इस पहल की सराहना की और कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से लोगों में जागरूकता बढ़ती है तथा संकट की घड़ी में वे सही निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। कार्यक्रम की अगुवाई एसडीएम मीरगंज तृप्ति गुप्ता ने की उनके साथ तहसीलदार आशीष कुमार सिंह, नायब तहसीलदार अरविंद कुमार, एनडीआरएफ की टीम, पुलिस विभाग, फायर ब्रिगेड, और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी भी मौजूद रहे।
बदायूं, पीलीभीत, शाजहांपुर, में हर साल नुकसान
प्रत्येक वर्ष मानसून के दौरान शारदा नदी पीलीभीत जिले में तबाही मचाती है। वहीं गंगा नदी से बदायूं और शाहजहांपुर के कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति बनती रही है। शारदा में बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा तबाही पीलीभीत के पूरनपुर और हजारा इलाके में होती है। बरेली में रामगंगा नदी का उफान भी कई बार संकट खड़ा कर चुका है। शाहजहांपुर में पिछले साल बाढ़ से भारी नुकसान हुआ था। बाढ़ का पानी शाहजहांपुर शहर में घुस गया था। बरेली-लखनऊ हाइवे बाढ़ के पानी में डूब गया था
नदियों के पास रहने वालों को सतर्क किया गया
प्रशासन ने नदियों के किनारे रहने वाले लोगों को सचेत कर दिया है। लाउडस्पीकरों और जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से यह सूचना दी जा रही है कि बाढ़ की स्थिति में लोग नदियों से दूर रहें और ऊंचे स्थानों की ओर जाएं।
शासन स्तर से निगरानी, सीएम योगी की नजर
गंगा, रामगंगा और शारदा नदियों पर शासन स्तर से विशेष निगरानी रखी जा रही है। जलस्तर में हो रही बढ़ोत्तरी पर हर घंटे रिपोर्ट ली जा रही है ताकि समय रहते उचित कदम उठाए जा सकें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही बाढ़ की आशंका के चलते हाईलेवल बैठक कर सभी जिलों में प्रशासन को अलर्ट पर रहने के निर्देश दे चुके हैं। राहत एवं बचाव की तैयारियों की समीक्षा सीएम योगी लगातार कर रहे है, ताकि बाढ़ की वजह से राज्य में कम से कम नुकसान हो।