बरेली थाना साइबर क्राइम नियंत्रण के लिए गठित पुलिस टीम ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर ठगी करने वाले संगठित गिरोह के चार सक्रिय अपराधियों को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हासिल की है। ये आरोपी आईवीआरआई कैंपस में रहने वाले रिटायर्ड वैज्ञानिक शुकदेव को फोन कर डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर उनसे 1 करोड़ 29 लाख रुपये ठगने में शामिल थे।पुलिस अधिकारियों के अनुसार, साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड वैज्ञानिक को कॉल कर खुद को सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी सिम कार्ड जारी किए गए हैं, जिनके जरिए ह्यूमन ट्रैफिकिंग और अन्य गंभीर अपराधों को अंजाम दिया गया है। उन्होंने वैज्ञानिक को धमकाया कि यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो उन पर केस दर्ज हो जाएगा और उन्हें जेल जाना पड़ेगा।डर और तनाव के माहौल में फंसे वैज्ञानिक ने आरोपियों के बताए बैंक खातों में आरटीजीएस के जरिए 1 करोड़ 29 लाख रुपये तीन अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिए।मामले की जानकारी मिलते ही साइबर क्राइम टीम ने छानबीन शुरू कर साइबर जालसाजों के नेटवर्क को ट्रेस किया और गिरोह के चार सदस्यों – सुधीर कुमार चौरसिया, रजनीश द्विवेदी, श्याम कुमार वर्मा और महेंद्र प्रताप सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपियों के पास से चार बैंक पासबुक, छह एटीएम कार्ड और चार मोबाइल फोन भी बरामद किए हैं, जो ठगी की रकम निकालने और दूसरे शिकार बनाने के काम में इस्तेमाल हो रहे थे।पुलिस अधिकारियों ने बताया कि गिरोह काफी समय से इस तरह के मामलों में सक्रिय था और अन्य राज्यों के लोगों को भी इसी तरह फंसा चुका है। गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर इनके नेटवर्क के अन्य सदस्यों और पूरे रैकेट का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने साइबर ठगी से बचने के लिए लोगों से अपील की है कि किसी भी अनजान कॉल पर विश्वास न करें और डराने-धमकाने वाले कॉल मिलने पर तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर सूचना दें।
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