बरेली में साइबर ठगी के पर्दे के पीछे से निकली ऐसी कहानी, जिसने आम लोगों को BSNL का अधिकारी बनकर ठगा और लाखों की चपत लगा दी। बारादरी पुलिस और एसओजी टीम की संयुक्त कार्रवाई में इस हाई-प्रोफाइल ठगी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। गिरोह के छह शातिर बदमाश गिरफ्तार हुए हैं, जबकि एक आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से भाग निकला।
साजिश की स्क्रिप्ट: टावर का झांसा, लाखों की ठगी
गिरोह का नेटवर्क किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं था। राजेंद्र नगर की एक इमारत के ऊपरी माले पर किराए का कमरा लिया गया। वहीं से फर्जी BSNL अधिकारी बनकर ऑपरेशन चलाया जाता था। फिर रजिस्ट्रेशन और सर्वे के नाम पर 1 से 1.5 लाख रुपये वसूलते और फर्जी दस्तावेज थमाकर गायब हो जाते।
पुलिस को ऐसे लगा ठगों का सुराग
एसओजी प्रभारी सुनील कुमार शर्मा को मिली एक खुफिया सूचना ने मामले की चाबी बना डाली। जल्द फरार होने की फिराक में लगे आरोपियों की धरपकड़ के लिए एसएसपी अनुराग आर्य ने एक विशेष टीम तैयार की। बीसलपुर चौराहे पर जाल बिछाया गया और गिरोह के छह सदस्य वहीं से धर लिए गए।
ठगों के कब्जे से मिला जालसाजी का सामान
पुलिस ने आरोपियों से लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल फोन, स्कैनर, दो बाइक, एक कार और भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। पूछताछ में ठगों ने माना कि वे इसी फर्जीवाड़े से अपना घर चलाते थे। लोगों को टावर से मिलने वाले किराए का लालच देकर ठगी को अंजाम देते थे।
गिरफ्त में आए ये आरोपी
- मोहम्मद इरफान (34), बीसलपुर, पीलीभीत
- रजित उर्फ रजत (25), कटरा, शाहजहांपुर
- वाजिद (26), मजगई, लखीमपुर खीरी
- फईम (33), खुदागंज, शाहजहांपुर
- आसिक अली (30), मजगई, लखीमपुर खीरी
- साकिर अली (23), मजगई, लखीमपुर खीरी
जबकि गिरोह का एक सदस्य तहसीन (देवरास, शाहजहांपुर) अभी फरार है। सभी पर बारादरी थाने में केस दर्ज किया गया है।
सच का सामना: “ठगी से ही भरता है चूल्हा”
पूछताछ में सभी आरोपियों ने स्वीकारा कि ये काम उनका मुख्य ‘धंधा’ है। टावर लगवाने का झांसा देकर वे घर-घर जाकर लोगों को फांसते थे और पैसे लेकर चंपत हो जाते थे।