बरेली। जालसाजी, अपराध और पॉलटिक्स का सबसे बड़ा मिश्रण मानी जाने वाली बरेली की जगमोहन फैमिली फिर चर्चा में है। कोआपरेटिव सोसाइटी की 39 लाख से अधिक की जमीन 1.05 लाख में हड़पे जाने के मामल विजीलेंस ने जिस सचिन सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई है, वह भूमाफिया जगमोहन सिंह का बेटा, बिथरी ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ चुकी श्वाति सिंह के पति और पूर्व ब्लॉक प्रमुख विजेन्द्र सिंह के चचेरा भाई हैं। परिवार का इतिहास कुछ ऐसा है कि बरेली पुलिस के पन्ने इनके खिलाफ जालसाजी, धोखाधड़ी सहित दूसरे अपराधों के मुकदमों से रंगे-पुते नजर आते हैं।
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, बिथरी विधानसभा से चुनाव लड़ते रहे स्व. राधेश्याम के खिलाफ भी दर्ज मुकदमों के फेहरिस्त लंबी थी और पुलिस ने उनकी हिस्ट्रीशीट खोल रखी थी। राधेश्याम के भाई जगमोहन पर जालसाजी, फर्जीबाड़े के कितने केस दर्ज हो चुके हैं कि खुद उनको याद नहीं होगा ! अपनी कारगुजारियों की वजह से जगमोहन का जेल आना-जाना लगा रहता है। जगमोहन के भतीजे विजेन्द्र सिंह अपनी दबंगई को लेकर चर्चा में रहते हैं और उनके खिलाफ भी मामले दर्ज होते रहे हैं। ये वही विजेन्द्र सिंह हैं, जिन्होंने अपने समय के सिंघम माने जाने वाले स्व. वीरेन्द्र सिंह के बिथरी विधायक रहते उनके पूर्व ब्लॉक प्रमुख भाई देवेन्द्र सिंह पर सदर तहसील बरेली में खुलेआम रिवॉल्वर तान दी थी।
विजेन्द्र सिंह मौलाना तौकीर रजा खां की पार्टी इत्तहादे मिल्लत काउंसिल से बिथरी विधानसभा में प्रत्याशी रह चुके हैं। कई पार्टियां बदल चुके विजेन्द्र अभी सपा में है और पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के साथ उनकी तस्वीरें सियासी हलकों में चर्चा का विषय रहती हैं। विजेन्द्र एक बार बिथरी के ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। वैसे जगमोहन एंड फैमिली की कहानी अभी और भी बाकी है। विजीलेंस की ओर से दर्ज एफआईआर से फिर चर्चा में आया जगमोहन का बेटा सचिन सिंह भी अपनी कुनबे के इतिहास में काले पन्ने जोड़ता नजर आता है।
राजनीति को अपने आवरण के रूप में इस्तेमाल करते रहे जगमोहन फैमिली ने 2021 के ब्लॉक प्रमुख चुनाव में बेटे सचिन सिंह की पत्नी श्वाति सिंह को मैदान में उतारा था। विजेन्द्र सिंह ने उस समय परिवार की बहू श्वाति सिंह के चुनाव की कमान संभाली थी और भाजपा से जुड़े एक पूर्व मंत्री का उन पर हाथ बताया जाता था। बिथरी की चुनावी महाभारत में श्वाति सिंह का मुकाबला भाजपा नेता हरेन्द्र सिंह की पत्नी ब्रजेश कुमारी और इलाके के दूसरे प्रमुख नेता संदेश कनौजिया की पत्नी अरुणा कनौजिया से हुआ।
जैसा कि बिथरी का बेहट जटिल चुनावी इतिहास है, पिछला ब्लॉक प्रमुख चुनाव भी वैसा ही कांट-छांट वाला हुआ था। ब्रजेश कुमारी को तत्कालीन विधायक पप्पू भरतौल खेमे का समर्थन हासिल था। प्रभाव के मामले में हरेन्द्र सिंह विरोधियों पर भारी पड़े और उनकी पत्नी ब्रजेश कुमारी ने विजेन्द्र सिंह के भाई की पत्नी श्वाति सिंह को आमने-सामने के मुकाबले में शिकस्त देकर ब्लाक प्रमुखी अपने नाम कर ली थी। चुनावी हार से खार खाए विजेन्द्र सिंह ने बाद में ब्रजेश कुमारी के खिलाफ बार-बार अविश्वास लाने का काम जरूर किया लेकिन कर कुछ नहीं पाए हैं।
राज्य में अगले साल फिर पंचायत चुनाव होने वाले हैं और हालात देखते हुए लगता है कि पुलिस रिकार्ड में ताबड़तोड़ मुकदमों की हिस्ट्री रखने वाले जगमोहन सिंह, विजेन्द्र सिंह, सचिन सिंह का परिवार फिर चुनावी जोर-आजमाइश करता दिखेगा, यह बात लगभग तय बताई जा रही है। इस दागी परिवार का चुनावी चेहरा-मोहरा कौन होगा, देखने वाली सिर्फ इतनी सी होगी। हालांकि, जमगोहन सिंह के सुपुत्र सचिन सिंह का जालसाजी से जुड़ा नया कारनामा और उसके खिलाफ विजीलेंस कार्रवाई से परिवार की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
SON OF जगमोहन ने अफसरों से मिलकर नया गुल खिलाया
बरेली की शंकर सहकारी आवास समिति में फर्जीबाड़े को लेकर भूमाफिया जगमोहन सिंह के बेटे सचिन सिंह व अन्य के खिलाफ शासन-प्रशासन से शिकायत हुई थी। विजीलेंस जांच में पता चला कि वर्ष 1987 में बीना राठौर पत्नी भूमाफिया जगमोहन सिंह ने शिवनगर कॉलोनी में प्लॉट नंबर 36 खरीदा था। वर्ष 2011 में कॉलोनी के नियमितीकरण की प्रक्रिया हुई, तो बीडीए के तत्कालीन जेई सुखपाल और शंकर समिति के सचिव विपिन कुमार ने फर्जी नक्शा पेश कर पार्क की जमीन का क्षेत्रफल कम दिखा दिया। यह पूरा खेल जगमोहन फैमिली से सांठगांठ कर उनको फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था।
इसके बाद पार्क के हिस्से को काटकर दो प्लॉट 36 ए और 36 बी बनाए गए। प्लॉट 36 ए (167.22 वर्गमीटर) जिसकी बाजार कीमत करीब 21.74 लाख थी, उसे मात्र 60 हजार में बेचा गया। प्लॉट 36 बी (125.41 वर्गमीटर) जिसकी बाजार कीमत 17.94 लाख थी, उसे सिर्फ 45 हजार में बेच दिया गया। ये दोनों प्लॉट बीना राठौर के बेटे सचिन कुमार के नाम रजिस्ट्री किए गए, जबकि समिति की बॉयलोज के हिसाब से जिन पर पहले से प्लॉट है, उन्हें नया आवंटन नहीं दिया जा सकता।
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि यह पूरी साजिश पूर्व सचिव विपिन कुमार और सचिन कुमार की मिलीभगत से रची गई थी। इस फर्जीवाड़े से शंकर सहकारी समिति को 39 लाख के करीब का नुकसान हुआ है। सतर्कता अधिष्ठान की जांच में धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश की पुष्टि हुई।
जिसके बाद सीओ विजीलेंस सीमा जादौन ने थाना प्रेमनगर में भूमाफिया जगमोहन सिंह के बेटे सचिन सिंह व समिति के तत्कालीन सचिव विपिन कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी है। एफआईआर के बाद आरोपी पक्ष खुद को सही बताने में जरूर लगा है, हालांकि जगमोहन सिंह के परिवार का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड काफी कुछ कहानी बयां करता नजर आ रहा है।