तीर्थनगरी सोरों में स्थित प्राचीन वनखंडेश्वर महादेव मंदिर की कहानी आस्था और चमत्कार से भरी हुई है। पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग को लोग राजा भगीरथ काल का मानते हैं। करीब पांच फीट ऊंचे इस शिवलिंग पर चेहरे की आकृति बनी हुई है, जिसकी मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर मुराद पूरी होती है।
52 साल पहले चोरी हुआ था शिवलिंग
मंदिर के पुजारी श्यामपुरी के मुताबिक, 26 फरवरी 1973 को नौ चोरों ने मंदिर से शिवलिंग चोरी कर लिया था और उसे अलीगढ़ ले गए। इसकी जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने सोरों कोतवाली में मामला दर्ज कराया। लेकिन चोरी के कुछ दिनों बाद ही चोर एक-एक कर संक्रामक रोगों से पीड़ित होने लगे और कुछ की मौत हो गई। डर के मारे एक चोर ने शिवलिंग को अलीगढ़ के पाली थाने में पुलिस को सौंप दिया।
22 साल तक थाने में रहा शिवलिंग
पाली पुलिस ने 22 मई 1993 को अपराध संख्या 59/1993 के तहत मामला दर्ज कर शिवलिंग को थाने में ही स्थापित कर दिया। लंबे समय तक यही स्थिति बनी रही। लगभग 22 साल बाद ग्रामीणों को पता चला कि उनका शिवलिंग पाली थाने में है। जब वे लेने पहुंचे तो पुलिस ने शिवलिंग देने से मना कर दिया।
कोर्ट ने लगाई 8 लाख की जमानत
ग्राम प्रधान ने बताया कि ग्रामीणों ने शिवलिंग पर अपना अधिकार जताते हुए कोर्ट में दावा दाखिल किया। अलीगढ़ दीवानी कोर्ट में करीब छह साल तक केस चला। अंततः कोर्ट ने शिवलिंग ग्रामीणों को सुपुर्द करने का आदेश दिया। हालांकि इसके लिए आठ लाख रुपए की जमानत राशि जमा करानी पड़ी। ग्रामीणों ने चंदा कर रकम जुटाई और कोर्ट में जमा कराई। इसके बाद शिवलिंग को विधिवत सोरों लाकर पुनः स्थापित किया गया।
लोगों की आस्था का केंद्र
आज यह मंदिर श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र है। लोगों का विश्वास है कि वनखंडेश्वर महादेव की पूजा करने से हर मुराद पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।