बरेली। अवैध धर्मांतरण सहित कई गंभीर मामलों में फंसे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के खिलाफ बरेलवी उलमा ने फतवा जारी किया है। मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने फतवे में इस्लाम के उसूलों के बारे में बताया है और मुसलमानों से छांगुर जैसे लोगों का बहिष्कार करने की अपील की है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अनुसार, पिछले कई दिनों से जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के बारे में कि कहा जा रहा है कि उसने लालच देकर के धर्मांतरण कराया और वह सुनियोजित तरीके से गैर मुस्लिम लड़कियों की मुस्लिम लड़कों के साथ शादी कराता था, साथ ही घर में अपने लिए एक कब्र बनवा रखी थी, उसके पास नौजवानो की एक फौज थी, उसके माध्यम से छांगूर बाबा लोगों पर दबाव बनाता था। इन तमाम बातों पर आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी से कई लोगों ने इस्लाम के नजरिए को समझने के लिए फतवा चाहा और प्रश्न पूछे।
मौलाना रजवी ने इस्लामी दृष्टिकोण से और छांगुर के सम्बन्ध में जो चीजें सामने आई हैं, उसके पेशे नज़र जुबानी फतवा देते हुए कहा कि इस्लाम धर्म में जब्र नहीं है, पैग़म्बरे इस्लाम की हदीस शरीफ़ है कि इस्लाम धर्म बहुत आसान है, इसमें जब्र और दबाव नहीं है, किसी व्यक्ति के ऊपर इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता। पैग़म्बरे इस्लाम की पूरी जीवनी पढ़ डालिए, उन्होंने कभी भी किसी गैर मुस्लिम को प्रलोभन या लालच नहीं दिया। उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में कभी किसी गैर मुस्लिम पर इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए दबाव नहीं डाला। उनकी जीवनी पर लिखी गई हजारों किताबों में एक वक्या भी इस तरह का नहीं मिलेगा। वो मुस्लिमों और गैर मुस्लिमों दोनों के साथ अच्छा व्यवहार और अच्छा सलूक करते थे, वो सभी के मुश्किल समय में सहयोग के लिए खड़े हो जाते थे।
मौलाना ने कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम के शासन में गैर मुस्लिम नागरिकों के जान माल और इज्जत व आबरू की सुरक्षा प्रदान करना मुसलमामों की एक एहम जिम्मेदारी बन जाती थी। पैग़म्बरे इस्लाम के दौर में एक गैर मुस्लिम के कत्ल का नाखुशगवार ( भयानक घटना) वाकया पेश आया था। जब ये घटना पैग़म्बर के सामने आई तो उन्होंने अदल और इंसाफ की बेहतरीन मिसाल कायम करते हुए बतौरे किसास ( बदला) मुसलमान को कत्ल करने का आदेश दिया। उन्होंने यहां पर इस बात की परवाह नहीं की कि गैर मुस्लिम का कत्ल एक मुसलमान ने किया है। उन्होंने उस मुसलमान को कोई रियायत नहीं की।
मौलाना ने कहा कि धर्म के प्रचार-प्रसार की हर शख्स को इजाजतत हासिल है, इस्लाम का प्रचारक अपने धर्म के प्रचार के किसी गैर मुस्लिम के सामने इस्लाम की खुबिया बयान तो कर सकता है, लेकिन उसे इस बात की बिल्कुल इजाजत नहीं है कि वो पहले से अपने धर्म पर अमल कर रहे उन गैर मुस्लिमों पर जोर व जबरदस्ती करके उन्हें इस्लाम धर्म में दाखिल करने की कोशिश करे। मौलाना ने आगे कहा कि इस्लाम जब्र, दबाव, लालच का धर्म नहीं है बल्कि प्यार और मोहब्बत वाला धर्म है। जलालुद्दीन उर्फ छांगुर ने जो कुछ भी किया वो गैर कानूनी तो है ही, साथ ही इस्लाम के वसूलों के खिलाफ भी काम किया है, छांगुर इस्लाम ने छवि को धूमिल किया, जिससे बहुत सारे मुसलमान मुसीबतों का शिकार हुए। इसलिए वो इस्लाम की नजर में मुजरिम है और गुनहगार है। मुस्लिम समाज ऐसे लोगों का बहिष्कार करे।