बरेली। गली का हर मोड़, हर दरवाज़ा आज खामोश है… लेकिन दिलों में तूफान मचा है। बरेली के किला इलाके के गढ़ईया मोहल्ले में इन दिनों हर सुबह एक ही सवाल से शुरू होती है— “क्या हमारे अपने सही-सलामत लौट आएंगे?”
यह सवाल है उन परिवारों का, जिनके जिगर के टुकड़े ज़ियारत के लिए ईरान गए थे… पर अब ईरान-इज़राइल युद्ध की वजह से वहीं पर फंसे हैं।
बरेली के छह तीर्थयात्री, जिनमें दो गढ़ईया मोहल्ले से हैं, इस वक्त जंग के बीच फंसे हुए हैं। सिर्फ बरेली ही नहीं, यूपी के अलग-अलग जिलों से कुल 16 भारतीय नागरिक इस पवित्र यात्रा पर गए थे, जो अब बमों की बारिश और दहशत के साए में जीने को मजबूर हैं।
चारों ओर धमाके, भीतर तक काँपता दिल… और भूख-प्यास की मार। इलाज दूर की बात है, दवा भी मयस्सर नहीं। कई बीमार हैं, लेकिन न डॉक्टर हैं न उम्मीद। ईरान से जो वीडियो संदेश आया, उसने देशभर के दिलों को हिला दिया।
सलीम हैदर और उनकी पत्नी नौशाद परवीन वीडियो में गिड़गिड़ाते हैं—
“हमें बचा लीजिए… चारों ओर बम गिर रहे हैं… तबीयत खराब है… बहुत डर लग रहा है… मोदी जी, योगी जी, हमें भारत वापस लाओ।”
इधर बरेली में, शहजाद बानो की आंखें हर दिन मोबाइल स्क्रीन पर टिकी रहती हैं। बहन और बहनोई की सलामती के लिए हर पल दुआएं… और जब बात होती है, तो फोन से सिर्फ यही आवाज़ आती है — “हमें यहां से निकालो… अब नहीं सहा जाता।”
कमाल हैदर बताते हैं कि बुजुर्ग तीर्थयात्री मानसिक रूप से टूट चुके हैं। इलाज की गुंजाइश नहीं, और ऊपर से धमाकों का खौफनाक मंजर… हालात बयान से बाहर हैं। वहां फंसे हुए हर व्यक्ति के घर में एक ही दुआ की जाती है:
“हे खुदा, हमारे अपने सही-सलामत वापस आ जाएं…”
बरेली के ये लोग जो अपने मजहबी सफर पर निकले थे, आज जंग के दलदल में फंसे हैं। हर आंख इंतज़ार कर रही है… हर दिल पुकार रहा है… मोदी जी, योगी जी, अब देर मत करो… उन्हें घर लाओ।